उत्तराखंड: पर्यटन विकास में नहीं ली सरकार ने रुचि
देहरादून : उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन के विकास में भी सरकारों ने रुचि नहीं दिखाई। राज्य में पर्यटन को मजबूत करने के लिए 2001 में गठित उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद अभी तक कोई ठोस काम नहीं कर पाई है। 2011 से 2016 की अवधि पर गौर करें तो केंद्र सरकार ने राज्य की 41 पर्यटन परियोजनाओं को स्वीकृत किया। इनके लिए 108.54 करोड़ रुपये की राशि जारी भी की गई, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं अभी तक अधूरी हैं।
उत्तराखंड में कुल 301 पर्यटन स्थल हैं। 2013-15 में 3.25 लाख विदेशी पर्यटकों समेत कुल 7.30 करोड़ पर्यटकों ने इनका रुख किया। पर्यटकों की यह संख्या और अधिक हो सकती है, लेकिन पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के रास्तों और स्थलों पर सुविधाओं की कमी के कारण पर्यटक इस ओर रुख नहीं करते हैं। इसे लेकर सरकारों का रवैया भी सकारात्मक नहीं रहा। महालेखापरीक्षक(कैग) की रिपोर्ट पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि सरकारें और विभाग राज्य में पर्यटन विकास को लेकर कितना गंभीर रहा।
2011 से 2016 के बीच उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार से 143.04 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की। इसमें से 133.58 करोड़ रुपये अवस्थापना विकास एवं मूलभूत सुविधाएं विकसित करने पर व्यय किए गए। इस अवधि में केंद्र से प्राप्त राशि पर मिला 3.58 करोड़ रुपये का ब्याज न तो केंद्र को वापस किया गया और न ही इसे खर्च करने के लिए केंद्र से अनुमोदन प्राप्त किया गया। इसके अलावा केंद्र सरकार से 41 पर्यटन परियोजनाओं के लिए स्वीकृत राशि का इस्तेमाल भी परिषद ने नहीं किया।
इन 41 परियोजना में से 20 के लिए केंद्र 169.69 करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। इसमें 108.54 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई और परिषद ने 92.15 करोड़ की राशि खर्च की। आंकड़े बताते हैं कि इन परियोजनाओं में केवल नौ ही पूरी की जा सकी, जबकि पांच पर भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण काम ही शुरू नहीं हो पाया। शेष परियोजनाओं का काम अभी तक भी अधूरा पड़ा है। कैग की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि राज्य ने बिना केंद्र से अनुमति लिए दूसरी परियोजनाओं पर राशि खर्च की।