अनियमितता का खुलासा: बेबसों का 80 करोड़ खाते में दबा बैठे अफसर
देहरादून: प्रदेश में एक ओर गरीब, बेबस, कमजोर और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए पर्याप्त बजट नहीं होने का रोना रोया जा रहा है, वहीं इसके लिए जिम्मेदार समाज कल्याण महकमे के अधिकारी विभिन्न योजनाओं की 80 करोड़ से अधिक धनराशि बैंक खातों में दबाए हुए हैं।
इस धनराशि को खर्च करने में नाकामयाब रहे जिला समाज कल्याण अधिकारियों ने इसे सरकारी खजाने में वापस जमा कराने की जरूरत नहीं समझी। अनुदान में लापरवाही और बंदरबांट का आलम ये रहा कि चार साल बीतने के बावजूद गरीबों के लिए अटल आवास योजना के 109 आवास अधूरे पड़े हैं। सुनने में अक्षम दिव्यांगों के श्रवण सहायता यंत्र के लिए एक फर्म को 6.55 लाख अग्रिम दिए गए, लेकिन इस फर्म ने ये सामान मुहैया तक नहीं कराया।
समाज कल्याण महकमे में ये वित्तीय गड़बड़ियां सरकार की ओर से कराए गए ऑडिट में पकड़ में आई हैं। इसमें महकमों के स्तर से समाज के कमजोर, निराश्रित और वंचित वर्गों के उत्थान और जीवन यापन में मदद करने के लिए जारी योजनाओं को लेकर महकमे और उसके अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल खोल दी है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में जिलों में समाज कल्याण अधिकारियों ने कल्याण योजनाओं की धनराशि के इस्तेमाल में बेहद लापरवाही बरती है।
हरिद्वार में बैंक खातों में 57 करोड़
हरिद्वार में की गई अभिलेखों की जांच में पाया गया कि समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के संचालन को बैंकों में खोले गए खातों में सरकारी खजाने से 57,01,61,339 करोड़ की राशि निकालकर जमा कराई गई, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हुआ। वहीं सुनने में अक्षम लोगों के लिए कृत्रिम श्रवण सहायता यंत्रों की आपूर्ति को एक फर्म को 6.55 लाख अग्रिम दिए गए, लेकिन फर्म ने सामान की आपूर्ति नहीं की।
22.53 लाख से अनियमित खरीद
चमोली जिले में तो गौरादेवी कन्या धन योजना के 3.50 लाख, राष्ट्रीय पारिवारकि लाभ योजना के 1.80 लाख, अनुसूचित जनजाति के लिए बीमारी व बच्चों की शादी आदि के लिए 1.50 लाख समेत कुल 6.80 लाख रुपये का इस्तेमाल नहीं हो सका। इस धनराशि को जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय ने अपने खाते में अनियमित रूप से जमा कर दिया, जबकि इसे सरकार या विभाग को वापस किया जाना चाहिए था।
इसी तरह एक बैंक खाते में अनुसूचित जाति उपयोजना की 2.60 करोड़ की राशि और एक अन्य खाते में 1.25 करोड़ की राशि बगैर लेन-देन के अवशेष है। आश्चर्यजनक तरीके से इस राशि के बारे में विभाग की कैश बुक में उल्लेख तक नहीं है। कार्यालय स्तर पर भी उक्त खातों का ब्योरा भी नहीं रखा गया है। प्रोक्योरमेंट नियमावली को धता बताकर 22.53 लाख रुपये से सामग्री की खरीद की गई।
50 फीसद से ज्यादा पेंशन से वंचित
टिहरी में जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय की लापरवाही के चलते 57 फीसद को वृद्धावस्था पेंशन, 58 फीसद को दिव्यांग पेंशन और 52 फीसद को विधवा पेंशन में अड़ंगा लग गया। इसकी वजह उक्त खातों का सौ फीसद सीबीएस न होना रहा। महकमे ने खातों को सीबीएस कराने के लिए ठोस पहल नहीं की। वहीं चार वित्तीय वर्षों में अटल आवास योजना के तहत 223 आवासों के स्थान पर 114 को ही पूरा कराया गया, 109 आवास अधूरे ही रह गए।
इससे इन आवासों के लाभार्थियों को पहली किश्त के रूप में दी गई 25.61 लाख धनराशि का अनुदान अनुपयोगी साबित हुआ। इसीतरह विभिन्न बैंक खातों में 22.51 करोड़ की धनराशि पीएलए में जमा कराने के बजाए खातों में ही जमा रखी गई। ये अवशेष राशि किन योजनाओं की है, इस ब्योरा रखा नहीं गया।