उत्तराखंड में दावानल रोकने को 6000 फायर वाचर तैनात
वनों में लगने वाली आग रोकने को नई सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। आग पर काबू पाने को फायर वाचर की संख्या दोगुनी कर तीन हजार से छह हजार की गई है। वहीं वन महकमा अब पहली बार रिजर्व वन के साथ सिविल सोयम और वन पंचायतों में लगने वाली आग की रोकथाम की योजना भी बनाएगा। ड्रोन के जरिए वनाग्नि का पता लगाया जाएगा।
मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई बैठक में वनाग्नि पर समय रहते काबू पाने को लेकर अहम फैसले हुए। मुख्य सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलाधिकारियों को फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट प्लान पर अमल करने और सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में बताया गया कि दावानल के मद्देनजर राज्य को चार जोन में बांटा गया है। 11280 वर्ग किमी को हाई रिस्क, 15410 वर्ग किमी को मीडियम रिस्क और 11144 वर्ग किमी को लो रिस्क जोन में रखा गया है। 15648 वर्ग किमी नो रिस्क जोन में है।
वनाग्नि की रोकथाम को 40 मास्टर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। इसके अलावा 1416 क्रू स्टेशन, 171 वॉच टॉवर, 391 स्थाई सेट, 177 मोबाइल सेट, 1534 हैंडसेट, 43 रिपीटर, रेक व कटिंग, फायर फाइंडर ब्रेस हुक, मेकलाइन, पुलास्की, सावल, डबल विटेक्स, फेस मास्क, हेलमेट, टार्च आदि की व्यवस्था की गई है।
साथ में 15400 प्रशिक्षित मानव संसाधन, 40 हजार एसडीआरएफ प्रशिक्षित स्थानीय लोग भी आग लगने की स्थिति में तैनात रहेंगे।
बैठक में बताया गया कि राज्य और जिला स्तर पर वनाग्नि नियंत्रण और प्रबंधन योजना बना ली गई है। फायर लाइन, पैदल, लीसा बटिया, वन मोटर मार्ग की सफाई की गई है। नियंत्रित और नियमित फुकान किया जा रहा है। प्री फायर अलर्ट, एसएमएस को व्हाट्सअप के जरिए भेजने की व्यवस्था की गई है।
लोगों को जागरूक करने को विभिन्न कार्यक्रम किए जाएंगे। 4600 फील्ड स्टाफ, 5600 फायर वाचर और वन पंचायत सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के मौके पर ऊर्जा प्रमुख सचिव उमाकांत पंवार, आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी, पीसीसीएफ राजेंद्र कुमार, राजस्व सचिव हरबंस चुघ, एनडीएमए विशेषज्ञ मेजर जनरल वीके नाइक सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।