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डब्ल्यूएचओ का कोरोना संक्रमितों को कंवलसेंट प्लाज्मा न देने पर जोर, जानें क्या है वजह

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को एक शोध जारी किया है। इस शोध के अनुसार कंवलसेंट प्लाज्मा से कोरोना संक्रमितों के स्वास्थ्य में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। इससे पहले कंवलसेंट प्लाज्मा को कोरोना संक्रमितों के लिए सर्वाइवर प्लाज्मा के नाम से भी जाना जा रहा है। कोराना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों से कंवलसेंट प्लाज्मा लेकर कोरोना संक्रमितों को ब्लड के माध्यम से चढ़ाया जाता है।

हालांकि पिछले साल यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने कोविड-19 से संक्रमित अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए इमरजेंसी में कंवलसेंट प्लाज्मा को इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। लेकिन अब बीएमजे में डब्ल्यूएचओ गाइडलाइन डेबलपमेंट ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान साक्ष्यों से पता चला है कि कंवलसेंट प्लाज्मा कोविड से संक्रमित मरीजों को जिंदा रहने में कोई मदद नहीं करता है। साथ ही यह काफी महंगी और समय लेने वाली प्रक्रिया भी है।

डब्ल्यूएचओ का कंवलसेंट प्लाज्मा ने देने पर जोर

डब्ल्यूएचओ ने रेडमाइजड कंटोलड ट्रायल के इलावा गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों में कंवलसेंट प्लाज्मा का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि 16 टेस्ट के साक्ष्यों के आधार पर यह सलाह दी जा रही है। इनमें गैर-गंभीर और गंभीर बीमारियों से पीड़ित और कोविड से संक्रमित 16 हजार 236 मरीज शामिल थे। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कहा कि किसी भी मरीज को नियमित रूप से कंवलसेंट प्लाज्मा नहीं दिया जाना चाहिए। उस वक्त गंभीर बीमारी वाले रोगियों में आरसीटी को जारी रखने के लिए पर्याप्त अनिश्चितता थी।

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