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वृक्षारोपण और जल संरक्षण जन आंदोलन बनना चाहिएः उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि नए भारत के निर्माण के लिए भ्रष्टाचार और जातिगत भेदभाव जैसी विभिन्न सामाजिक बुराइयों से छुटकारा पाना और सामाजिक दायित्वों को पूरा करना लोगों का दोहरा उद्देश्य होना चाहिए।

 भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के अवसर पर संसद भवन परिसर में आज वृक्षारोपण करने के बाद अपने संक्षिप्त वक्तव्य में उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि गरीबी और असमानता समेत सामाजिक बुराइयों को छोड़ा जाए और उनसे छुटकारा पाया जाए।

वृक्षारोपण करने के अलावा उपराष्ट्रपति ने लोगों का वर्षा के जल के संचय को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर जल संरक्षण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसे स्वच्छ भारत की ही तरह जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘रिड्यूज यानी कम से से कम, रीयूज यानी फिर से इस्तेमाल और रीसाइकिल जल संरक्षण का मंत्र होना चाहिए।’

उपराष्ट्रति ने कहा कि इस ग्रह को हराभरा और स्वच्छ बनाने के लिए प्रत्येक शख्स को वृक्षारोपण को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाने और जैव विविधता को बचाने में मदद करते हैं। उन्होंने बच्चों और युवाओं से कहा कि वे इस तरह के रचनात्मक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लें।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘हर किसी को प्रकृति से प्रेम करना चाहिए और उसके साथ रहना चाहिए। एक बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति की रक्षा और संस्कृति की संरक्षण करें।’

इस अवसर पर राज्यसभा के महासचिव श्री देश दीपक वर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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