राजनीति

निकाय चुनाव से पहले संगठन में फेरबदल से बढ़ी चुनौती

देहरादून : भाजपा महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल की निकाय चुनाव से पहले विदाई और विनय गोयल को कमान सौंपने का निर्णय संगठन के लिए चुनौती भी साबित हो सकता है। क्योंकि इस फेरबदल के पीछे कई मोर्चों पर सरकार और संगठन के बीच मतभेद व मनभेद को कारण बताया जा रहा है। ऐसे में संगठन में गुटबाजी पनपने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

प्रदेश में भाजपा की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनने के बाद संगठन में फेरबदल की उम्मीदें कम ही थीं। इसके अलावा राजधानी में संगठन और सरकार के बीच कई मामलों में अंदरखाने अनबन चल रही थी। शराब की दुकान के खिलाफ आंदोलन, सरकार के अतिक्रमण अभियान का विरोध, वर्तमान महापौर और भावी महापौर की तैयारी को लेकर चल रही गुटबाजी जैसे कई मुद्दे भी संगठन बदलाव में प्रमुख रहे। यह बात कार्यकर्ता भी दबी जुबान में स्वीकार कर रहे हैं। संगठन के विस्तार के बाद फेरबदल का नफा-नुकसान भी सामने आने की प्रबल संभावनाएं है। जिसका असर निश्चित आने वाले निकाय चुनाव पर पड़ेगा।

भाजपा के निवर्तमान महानगर अध्यक्ष का कहना है कि हाईकमान का जो भी निर्णय है, वह स्वीकार किया जाएगा। विधायक का टिकट कटने के बाद मुझे महापौर का टिकट देने का भरोसा पहले ही दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष ने भी बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कही। पार्टी हित में जो भी होगा, उसका पालन किया जाएगा।

भाजपा के नवनियुक्त महानगर अध्यक्ष विनय गोयल का कहना है कि भाजपा संगठन ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे बखूबी निभाया जाएगा। निकाय चुनाव हो या फिर अन्य कार्यक्रम, सभी को साथ लेकर चलेंगे। फिलहाल कहीं कोई नाराजगी नहीं है। संगठन हित में सभी मिलकर काम करेंगे।

….और एक तीर से कई निशाने 

उमेश अग्रवाल को महानगर से विदाई के पीछे विधानसभा चुनाव में रही नाराजगी को भी प्रमुख कारण बताया जा रहा है। हालांकि, इस बीच अग्रवाल ने पार्टी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाते हुए भरोसा जीतने में कोई कमी नहीं छोड़ी। मगर, महापौर विनोद चमोली और सीएम के बीच कुछ मुद्दों पर विरोधाभाष से नाराजगी जगजाहिर थी। इसी बीच सीएम के करीबी सुनील उनियाल गामा भी महापौर के चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। अग्रवाल को चुनाव से पहले हटा कर अब गामा के लिए फिल्डिंग सजाने की भी चर्चाएं हैं। जिससे गामा और अग्रवाल महापौर के पद को लेकर आमने-सामने आ सकते हैं। वहीं विधानसभा चुनाव में चमोली का प्रबल विरोध करने वाले अग्रवाल को महापौर चुनाव से पहले हटाने के पीछे सरकार और संगठन का यह फैसला एक तीर से कई निशाने साधने जैसा लग रहा है।

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