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भारत में कोयला उत्पादन चालू वित्त वर्ष के दौरान 900 मिलियन टन (एमटी) के स्‍तर को छू लेगा: प्रह्लाद जोशी

केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत में कुल कोयला उत्पादन 900 मिलियन टन (एमटी) के स्‍तर पर पहुंच जाएगा और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में खनिज अन्वेषण मानदंडों में ढील दी गई है और अब तक नौ निजी अन्वेषण एजेंसियों को मान्यता मिली है।

मंत्री म‍होदय ने आज यहां भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यालय में ‘खनिज और ऊर्जा संसाधनों पर परिसंपत्ति लेखा-जोखा का संग्रह’ जारी करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और संस्थागत बना दिया गया है। मंत्री महोदय ने कहा कि कोयले के आयात में काफी कमी आई है और वर्ष 2024 तक आयात पर विराम लगा दिया जाएगा।

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देश की खनिज परिसंपत्तियों पर परिसंपत्ति लेखा-जोखा का पहला संग्रह प्रस्‍तुत करने के लिए सीएजी कार्यालय की सराहना करते हुए श्री जोशी ने कहा कि विभिन्न राज्यों में फैले खनिज संसाधनों की व्यापक तस्वीर इस रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है। उन्होंने कहा कि उस टिकाऊ खनन प्रक्रिया को और मजबूत करने में यह संग्रह बहुत महत्वपूर्ण होगा जो इकोलॉजी और भावी पीढ़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। मंत्री महोदय ने आजादी का अमृत महोत्सव की पूर्व संध्या पर देश के लोगों को यह संग्रह समर्पित किया।

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राज्य परिसंपत्ति लेखा-जोखा से संबंधित जानकारियों का मिलान करते हुए सरकारी लेखांकन मानक सलाहकार बोर्ड (जीएएसएबी) ने राज्यों में खनिज और ऊर्जा संसाधनों पर परिसंपत्ति लेखा-जोखा का संग्रह तैयार किया है।

इस संग्रह में 28 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में उपलब्‍ध सभी चार जीवाश्म ईंधनों, 40 प्रमुख खनिजों और 63 लघु खनिजों का विवरण शामिल है और इस अध्ययन के दौरान नजर आए नवाचारों एवं अच्छी प्रथाओं या तौर-तरीकों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस प्रकाशन में कुछ ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जिनमें राज्य सरकार की ओर से ठोस उपाय करने की आवश्यकता होगी। इसमें आने वाले समय के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए हैं, ताकि संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के अलावा संसाधनों के समग्र प्रबंधन को और बेहतर करना एवं राजस्व सृजन को इष्‍टतम या अधिकतम करना भी संभव हो सके।

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सरकारी लेखांकन मानक सलाहकार बोर्ड (जीएएसएबी) अक्टूबर 2021 से ही मासिक बैठकों, राज्य सरकार के विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नियमित प्रशिक्षण, और राज्य विशिष्ट कार्यशालाओं के अलावा राज्य सरकारों को जारी अनगिनत एडवाइजरी के माध्यम से राज्यों में उपलब्‍ध खनिज और ऊर्जा संसाधनों पर अपना पहला परिसंपत्ति लेखा-जोखा तैयार करने में महालेखाकारों के कार्यालयों के जरिए राज्यों का मार्गदर्शन करता रहा है। इसके परिणामस्वरूप सभी राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू और कश्मीर) ने वर्ष 2020-21 के लिए खनिज और ऊर्जा संसाधनों पर परिसंपत्ति लेखा-जोखा की तैयारी पूरी कर ली। इस तरह के लेखा-जोखा को राज्य सरकारों द्वारा विधिवत सत्यापित कर दिया गया है और इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए नमूना-जांच की गई है कि ये रिकॉर्ड पर उपलब्ध दस्तावेजों/डेटासेट के आधार पर ही तैयार किए गए हैं।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) श्री गिरीश चंद्र मुर्मू और वरिष्ठ प्रबंधन के सदस्य इस समारोह में शामिल हुए। चयनित राज्यों के खान सचिव, उनके भूविज्ञान एवं खनन आयुक्त और इन चयनित राज्यों के महालेखाकार, सलाहकार समिति के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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