देश-विदेश

ग्रह को सुरक्षित और हरा-भरा बनाने के वैश्विक प्रयास में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ भारत की साझेदारी महत्वपूर्ण है: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि विकसित और विकासशील देशों के पास एक-दूसरे की जरूरतों, संभावित लक्ष्यों और स्थिरता की दिशा में रोडमैप के प्रति संवेदनशील होने के साथ-साथ अलग-अलग लक्ष्य और समय-सीमाएं होनी चाहिए। वह आज नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के इंडिया यूरोप बिजनेस एंड सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव के विशेष सत्र में सभा को संबोधित कर रहे थे।

श्री गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब हमारे काम को बेंचमार्क करने और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को पूरा करने की बात आती है तो भारत शीर्ष 5 प्रदर्शन करने वालों में से एक रहा है। उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी, वित्त और सतत जीवन शैली सतत विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं’।


श्री गोयल ने विश्व के नेताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि हर किसी को ऊर्जा दक्षता में सुधार, कचरे को कम करने, चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए बदलाव करके और अन्य देशों को हरित विकास में मदद करके हरित लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपना उचित हिस्सा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रह को सुरक्षित और हरा-भरा बनाने के वैश्विक प्रयास में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ भारत की साझेदारी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया कि स्थिरता और समावेशी विकास भारत की विकास गाथा को परिभाषित करता है। मंत्री ने सभी व्यापारिक नेताओं से स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके सभी कार्यों में प्रकृति के प्रति सम्मान होना चाहिए।

श्री गोयल ने कहा कि आज के व्यवसाय स्थिरता के मूल्य और व्यवसाय के साथ स्थिरता की पूरकता को समझते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी व्यवसाय के लिए दीर्घकालिक मूल्य प्रस्ताव स्थिरता से निकला है क्योंकि यह हितधारकों के लिए व्यवसायों को सुरक्षित बनाएगा और हमें बेहतर भविष्य के लिए तैयार करेगा।

ट्रस्टीशिप के महात्मा गांधी के विजन के बारे में बात करते हुए, मंत्री ने कहा कि हमें अंतर-पीढ़ीगत इक्विटी के महत्व को पहचानना चाहिए और कहा कि हमें अपने पूर्वजों से पृथ्वी विरासत में नहीं मिली है, बल्कि इसे अपने बच्चों से उधार लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में, स्थिरता और प्रकृति के प्रति सम्मान पारंपरिक और स्वाभाविक रूप से आया है।

मंत्री ने कहा कि काफी हद तक जलवायु संकट उच्च स्तर की खपत और अपशिष्ट उत्पादन के कारण पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि केवल एक सामूहिक प्रयास से ही जलवायु संकट से निपटने और सतत विकास हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार केवल एक संबल की भूमिका निभाने में सक्षम होगी और यह व्यवसाय और बड़े पैमाने पर लोग होंगे जिन्हें सतत विकास की ओर ले जाने वाली पहलों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा, ‘अगर हम इसे एक वैश्विक जिम्मेदारी, एक बेहतर दुनिया के लिए एक साझा प्रतिबद्धता के रूप में स्वीकार करते हैं, तो हम चमत्कार कर सकते हैं। हमें गति की आवश्यकता है और हमें एक स्थायी दुनिया के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है।जेड

मंत्री ने उस जैकेट का उल्लेख किया जो ऊर्जा सप्ताह के दौरान प्रधानमंत्री को उपहार में दी गई थी, जो पुनर्नवीनीकृत प्लास्टिक से बनी थी और कहा कि प्रधानमंत्री इसे पहनकर संसद में गए थे और यह एक संकेत तथा प्रेरणा है कि हम सभी को हरित आंदोलन में योगदान करने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत की विकास यात्रा में स्थिरता और समावेशी विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीरो डिफेक्ट और जीरो इफेक्ट मैन्युफैक्चरिंग के दृष्टिकोण का हवाला दिया, जिसमें गुणवत्ता और स्थिरता भारत की विकास यात्रा के दो महत्वपूर्ण तत्व हैं।

मंत्री ने कहा कि समावेशी विकास प्रधानमंत्री का एक और विजन रहा है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक के लिए समृद्धि लाना है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सफल रही है, जिससे आकांक्षाओं का स्तर बढ़ा है, खासकर युवाओं का, और आर्थिक विकास को चलाने के लिए उन्हें सशक्त बनाया है। श्री गोयल ने भविष्य के विकास के एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में स्थिरता को मान्यता देते हुए भारत के 1.4 अरब के बड़े उपभोक्ता आधार पर प्रकाश डाला।

इंडिया यूरोप बिजनेस एंड सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव के विशेष पूर्ण सत्र में यूरोपीय संघ (ईयू), नीदरलैंड, माल्टा और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने भाग लिया।

Related Articles

Back to top button