उत्तर प्रदेश

किसानों को कृषि एवं जल के एकीकृत प्रबंधन कार्य को ‘‘करके सीखो’’ विधि की दी गयी जानकारी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा उ0प्र0 वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना के द्वितीय चरण मुख्यतः सिंचाई विभाग के 12 संगठनों एवं लाइन विभाग-कृषि, भूगर्भ जल, स्टेट इन्स्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट एवं रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेन्टर की सहायता से क्रियान्वित की जा रही है।

प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग श्री अनूप कुमार श्री वास्तव की अध्यक्षता में परसों सम्पन्न हुई बैठक में कहा गया कि जल उपभोक्ता समितियों एवं किसान सिंचाई विद्यालयों के बीच बेहतर तालमेल बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल उपभोक्ता समितियों के व्यावहारिक अनुभव तथा फील्ड स्तर की कठिनाईयों को साझा करते हुए इसके समाधान के लिए पैक्ट के अधिकारियों को हर संभव प्रयास करना चाहिए।

पैक्ट के मुख्य अभियन्ता श्री ए.के. सेंगर ने परियोजना में शामिल विभिन्न विभागों की गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि रामगंगा एवं शारदा सहायक संगठन की नहरों पर हाइड्रोलोजिकल इन्फारमेशन सिस्टम स्थापित करने के लिए अनुबन्ध गठित कर तेजी से कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा प्रदेश की 08 मुख्य नदियों (यमुना, गंगा, रामगंगा, गोमती, घाघरा, राप्ती, सोन एवं गण्डक) का रिवर बेसिन असेसमेन्ट एण्ड प्लानिंग सिस्टम विकसित करने का कार्य प्रगति पर है। गोमती, गण्डक, एवं राप्ती नदी बेसिन का प्लान पूरा कर कन्सलटेन्ट द्वारा स्वारा संगठन को भेज दिया गया है। इस कार्य के पूरा होने की प्रस्तावित तिथि मार्च, 2020 है।

श्री सेंगर ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत अत्याधुनिक बाढ़ प्रबंधन सूचना प्रणाली केन्द्र परिकल्प भवन, तेलीबाग लखनऊ में स्थापित किया गया है। राप्ती बेसिन में बाढ़ के समय नदियों के जल स्तर का 03 दिन पहले पूर्वानुमान तथा बाढ़ से संभावित जलमग्न क्षेत्रों का मैपिंग कार्य के लिए माॅडल विकसित करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस परियोजना के लाइन विभाग कृषि अंतर्गत 4000 फार्मर वाटर स्कूल की स्थापना के लक्ष्य के सापेक्ष 2982 किसान जल स्कूल स्थापित किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में रबी फसली से 1018 फार्मर वाटर स्कूल (287 प्राइमरी एवं 731 सेकेण्ड्री ) की स्थापना की गई है।

इसके अलावा रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेन्टर लखनऊ क्षेत्र में फसल अनुश्रवण का कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2012-13 से 2018-19 तक परियोजना के क्षेत्र के अंतर्गत खरीफ, रबी एवं जायद फसलों की कृषि लैण्ड यूज, वेट लैण्ड मैपिंग एवं फसल सघनता का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसी प्रकार राज्य ग्राम्य विकास संस्थान लखनऊ द्वारा सहभागी सिंचाई प्रबन्धन के लिए जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत 5176 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

पैक्ट के मुख्य अभियन्ता श्री ए.के. सेंगर ने इस अवसर पर जल उपभोक्ता समितियों द्वारा किये जा रहे सराहनीय कार्य की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि डब्लू.एस.आर.पी., विश्व बैंक पोषित परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन से खेती के लिए वर्षा पर निर्भर रहने वाले क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने से किसानों की स्थिति में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने कौशाम्बी तथा फतेहपुर जनपदों के किसानों का अनुभव साझा करते हुए कहा कि कृषि उत्पादन और बहुफसली कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने में विश्व बैंक परियोजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है।

श्री सेंगर ने बताया कि इसी माह विश्व बैंक मिशन टीम ने परियोजना के अंतर्गत आच्छादित जनपदों का भ्रमण करके किसानों के लिए चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम का जायजा लिया था। इसके साथ ही जल उपभोक्ता समितियों की कार्य प्रणाली का भी अध्ययन किया। परियोजना के तहत फतेहपुर और कौशाम्बी जिलों के असिंचित खेतों तक पानी पहुंचाकर सिंचाई विभाग ने किसानों को बड़ी राहत दी है, जिसकी सराहना विश्व बैंक की टीम ने किया।

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