उत्तर प्रदेश

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की खाद्य टोकरी का लाभ उठाएं, निवेशक: केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ: ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023  के तहत  (Uttar Pradesh : Opportunity Food Processing: Leveraginig Food Basket of India) विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने की। इस कार्यशाला में श्री मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त/अपर मुख्य सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा कार्यशाला की थीम के सम्बन्ध में चर्चा की गयी। अमित वात्स्यायन, पार्टनर और सेक्टर लीडर अन्सर्ड एण्ड यंग एल एल पी इण्डिया, गरिमा सिंह सी ई ओ पेप्सीको इण्डिया,  प्रकाश लोहिया, प्रबंध निदेशक मेरीनो इण्डिया, श्री रंजनीकान्त राय,  मंडल मुख्य कार्यकारी एग्री बिजनेस आई०टी०सी० लिमिटेड, श्री रुद्र डालमिया मैनेजिंग पार्टनर, ग्रीन फ्रन्टियर केपिटल, द्वारा इन्ड्रस्टी डेवलपमेन्ट के सम्बन्ध में उदबोधन दिये। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भारत सरकार से श्री सनोज कुमार झा अपर सचिव द्वारा भारत सरकार योजनाओं पर प्रकाश डाला। श्री देवेश चर्तुवेदी, अपर मुख्य सचिव, कृषि उवप्रव शासन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण कृषि और उद्योग के बीच की कड़ी है,प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आई0टी0 सेक्टर के बाद सबसे ज्यादा रोजगार सृजन की सम्भावनायें विद्यमान हैं। उत्तर प्रदेश विभिन्न कृषि आधारित वस्तुओं के उत्पादन और प्रसंस्करण में गेहूं, गन्ना, आम, आलू, दुग्ध एवं मटर उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। धान उत्पादन में द्वितीय स्थान पर तथा मछली उत्पादन में 6वें स्थान पर उत्तर प्रदेश आता है।  हमारे प्रदेश में प्रसंस्करण क्षेत्र में पूंजी निवेश की अपार सम्भावना है। कृषि उपज के प्रसंस्करण को बढ़ाना एवं अन्य राज्यों और देशों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात को प्रोत्साहित करना मुख्यतः है। प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2023 में निवेशकों के हित में बहुत अच्छे प्राविधान रखे गये है। उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 में अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ही बेहतर प्रबंध किए गए है। उन्होंने निवेशकों को विश्वास दिलाया कि उत्तर प्रदेश में सुरक्षा कवच मजबूत है। 2047 भारत दुनिया के सामने विकसित देश के रूप में मिसाल पेश करेगा। उत्तर प्रदेश का विकास का मतलब सभी जिलों का विकास है। पूरे उत्तर प्रदेश में कहीं भी निवेश करें, हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। विद्युत की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में कोल्ड चैन मजबूत होना बहुत जरूरी है और कोल्ड चैन मजबूत हो जाने से किसानों की आमदनी तो होगी ही, व्यापारियों और उद्यमियों की भी आमदनी बढ़ेगी। डबल इंजन सरकार में अधिकारी डबल स्पीड से काम करते हुए उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाएंगे। यहां उपभोक्ता भी है और तो प्रसंस्कृत सामग्री की डिमांड भी बहुत है। गंगा के किनारे 5 किलोमीटर की परिधि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। केंद्र सरकार के बजट में श्री अन्न योजना शुरू करके मोटे अनाजों के महत्व को दर्शाया गया है। निवेशक ऐसे अवसरों का लाभ उठाये। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार के बजट में निवेश को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, उत्तर प्रदेश सरकार के बजट में उसकी रफ्तार को बढ़ाया जाएगा।
बताया गया कि प्रदेश में पूंजी निवेश करने वाले इच्छुक उद्यमियों के साथ विभिन्न प्रदेशों एवं विदेशों में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में 1090 एम0ओ0यू0 जिनका प्रस्तावित पूंजी निवेश रू0 46575.00 करोड़ (लगभग रु. छियालीस हजार पांच सौ पछत्तर करोड़ मात्र) धनराशि के प्राप्त हुये हैं। इसके माध्यम से प्रदेश में दो लाख से अधिक रोजगार सृजन होने की संभावना रहेगी।
उप मुख्यमंत्री ने कहा उत्तर प्रदेश में डबल इंजन सरकार मे पूरी गति से काम हो रहे। हर तरह से माहौल अच्छा है। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बहुत बेहतर है। बिना किसी भय, डर के निवेश करें सरकार हर तरह की सुविधा हर संभव तरीके से उपलब्ध कराएगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मनोज कुमार सिंह ने राज्य में नई खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना से सम्बन्ध संयंत्र, मशीनीकरण, एवं तकनीकी सिविल कार्यों पर किये गये व्यय का 35 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी अधिकतम 05 करोड़ तक प्रदान की जायेगी। खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के विस्तार, आधुनिकीकरण/उन्नयन के लिए यह धनराशि 01 करोड़ तक प्रदान की जायेगी। 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने हेतु राजस्व विभाग की वर्तमान प्रक्रिया में खरीदे जाने वाले प्लाट नम्बरों का उल्लेख करने के लिए कहा जाता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए इस प्रक्रिया में ग्राम के नाम का उल्लेख पर्याप्त होगा, प्लाट का नम्बर उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं होगी।
परियोजना स्थल में आने वाले सरकारी भूमि की विनियम के लिए सर्किल रेट के 25 प्रतिशत धनराशि देने की की आवश्यकता खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी को नही होगी।भूमि उपयोग का रूपान्तरण आवास विकास के अभिमत के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को 50 प्रतिशत की छूट दी जायेगी।  बाहरी विकास शुल्क में आवास विकास विभाग की सहमति के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए 75 प्रतिशत की छूट प्रदान की जायेगी। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति- 23 में निवेशकों के लिए किये गये महत्वपूर्ण प्राविधानो की जानकारी दी। जिससे उद्यमियों में उत्साह देखने को मिला।
इस अवसर पर देश व दुनिया के प्रमुख उद्यमी, निवेशक, व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े  प्रमुख लोग, विशेष सचिव खाद्य प्रसंस्करण श्री योगेश कुमार, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री आर  के तोमर सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

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