देश-विदेश

विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के जरिए मंत्रालय कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दे रहा है: सुश्री शोभा करंदलाजे

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) की ‘कृषि कार्य मशीनीकरण उद्योग में भारत को वैश्विक हब बनाने’ पर नवीनतम रिपोर्ट जारी की। एनसीएईआर भारत के प्रमुख आर्थिक नीति अनुसंधान थिंक टैंकों में से एक है। इस अध्ययन को महिंद्रा एंड महिंद्रा ने प्रायोजित किया था।

एनसीएईआर ने गैर-ट्र्रैक्टर कृषि मशीनरी उद्योग से संबंधित मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों का गहराई से विश्लेषण किया है। क्षेत्र की चुनौतियों को सामने रखने के साथ ही रिपोर्ट में वैश्विक प्रथाओं को बेंचमार्क मानते हुए उपायों और सुधारों की भी सिफारिश की गई है। कई महत्वपूर्ण बातों के अलावा, यह रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत को गैर-ट्रैक्टर कृषि मशीनरी में खुद को उत्पादन और निर्यात हब में बदलने के लिए अगले 15 वर्षों के लिए एक विजन की आवश्यकता है।

उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही नुकसान कम करने के लिए समय पर कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त बिजली का होना महत्वपूर्ण है। फसलों की अधिकता होने से, एक फसल का निश्चित समय भी बहुत कम हो गया है, ऐसे में बाद की फसल के लिए समय पर कृषि कार्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त बिजली की जरूरत होती है। वैसे, हम कृषि मशीनीकरण में काफी प्रगति देख रहे हैं, लेकिन इसका प्रसार पूरे देश में एकसमान नहीं है। साल 2018-19 में कृषि के लिए बिजली की उपलब्धता 2.49 किलोवाट/हेक्टेयर रही, जो कोरिया (+7 किलोवाट/हेक्टेयर), जापान (+14 किलोवाट/हेक्टेयर), अमेरिका (+7 किलोवाट/हेक्टेयर) की तुलना में बहुत कम है।

कार्यक्रम में सुश्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय पहले से ही एसएमएएम, सीआरएम, ड्रोन को बढ़ावा देने जैसी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के जरिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दे रहा है। ट्रैक्टर, पावर टिलर, कंबाइन हार्वेस्टर आदि सहित कृषि मशीनों का एफएमटीटीआई द्वारा प्रशिक्षण और परीक्षण समान रूप से महत्वपूर्ण है। संस्थानों ने परीक्षण और प्रशिक्षण में सराहनीय काम किया है और कृषि मशीनीकरण के क्षेत्र में 2.3 लाख से ज्यादा कुशल पेशेवरों को तैयार किया है।

एमओएस ने कहा कि भारत में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए उद्योग के उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की जानी चाहिए। उपयुक्त तकनीकों को लाने और विकसित करने, जागरूकता फैलाने के साथ ही उपयोगकर्ताओं के लिए कृषि उपकरणों को ज्यादा किफायती बनाने की दिशा में उद्योगों का उत्साह और नवाचार जबर्दस्त है। सरकार किसानों द्वारा कृषि बिजली का इस्तेमाल बढ़ाने और इसके परिणामस्वरूप कृषि दक्षता में वृद्धि के लिए योजनाओं को लागू कर रही है, इसके साथ ही सरकार का यह भी प्रयास है कि इन योजनाओं का बेहतरीन परिणाम मिले। इस संबंध में, योजनाओं के प्रभाव को लेकर अध्ययन और थर्ड पार्टी ऑडिट नियमित रूप से किए जा रहे हैं। किसानों, विषय विशेषज्ञों, अनुसंधान के निष्कर्षों और उद्योगों जैसे विभिन्न हितधारकों के सुझावों का हमेशा स्वागत किया जाता है। ऐसे में एनसीएईआर की तरफ से भारत को कृषि मशीनरी में वैश्विक पावर हाउस बनाने पर अध्ययन रिपोर्ट एक स्वागत योग्य कदम है। आशा है कि यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी।

एमओएस ने भारत को कृषि मशीनरी में एक वैश्विक पावर हाउस बनाने पर अध्ययन रिपोर्ट प्राप्त करने पर प्रसन्नता जाहिर की। एनसीएईआर के सचिव और प्रो. डॉ. अनिल शर्मा ने कृषि मशीनीकरण क्षेत्र की चुनौतियों को भी सामने रखा है। यह रिपोर्ट वैश्विक प्रथाओं को बेंचमार्क मानते हुए कुछ उपायों और सुधारों की भी सिफारिश करती है, नीति निर्माताओं की टीम कृषि मशीनीकरण के सर्वोत्तम समाधान के लिए इस पर गौर करेगी। इस अवसर पर सचिव डीए एंड एफडब्ल्यू श्री मनोज आहूजा समेत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button