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बसंत पंचमी 2020 पर बन रहे है विशेष योग

बसंत पंचमी हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। भारत में इस दिन से वसंत ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। इनकी पूजा सूर्योदय के बाद यानी कि दिन के मध्य भाग में की जाती है। साल 2020 में ये पर्व 29 जनवरी को मनाया जायेगा। इस दिन पंचमी तिथि का प्रारंभ सुबह 10 बजकर 45 मिनट से हो जायेगा।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि इस बार सालों बाद ग्रह और नक्षत्रों की चाल बसंत पंचमी को विशेष बना रही है।

इस बार तीन ग्रहों का स्वराशि योग बन रहा है। इसमें मंगल वश्चिक में गुरू धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। इस दिन विवाह कार्यों के लिए अति शुभ माना गया है। इस वर्ष विशेष बात यह है कि बसंत पंचमी स्वराशि संयोग में मनेगी। इस दिन मंगल वृश्चिक में,गुरु धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। इस दिन शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहुर्त होता है।

वसंत पंचमी 2020 का शुभ मुहूर्त
पञ्चमी तिथि का प्रारम्भ – 29 जनवरी 2020 को 10:45 ए एम बजे से होगा।
पञ्चमी तिथि की समाप्ति – 30 जनवरी 2020 को 01:19 पी एम बजे पर होगी।
वसन्त पञ्चमी मध्याह्न का क्षण (पूजा मुहूर्त) – 10:47 ए एम से 12:34 पी एम तक रहेगा।
पूजा के मुहूर्त की कुल अवधि – 01 घण्टा 49 मिनट्स

जानिए कैसे हुआ था माता सरस्वती का जन्म

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की थी, लेकिन शुरू में इन्सान बोलना नहीं जानता था। धरती पर सब शांत और निरस था। ब्रह्माजी ने जब धरती को इस स्थिति में देखा तो अपने कमंडल से जल छिड़कर एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री को प्रकट किया। इसके हाथ में वीणा थी। यह शक्ति को ज्ञान की देवी मां सरस्वती कहा गया। मां सरस्वती ने जब अपनी वीणा का तार छेड़ा तो तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द तथा वाणी मिल गई। यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि भारतीय वैदिक परंपरा में वसंत पंचमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान का महत्व भी बताया गया है। यह त्योहार सम्पूर्ण भारत के साथ ही पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां पीले वस्त्र धारण करती हैं।

29 व 30 जनवरी 2020 को दो दिन रहेगी वसंत पंचमी

पंडित दयानन्द शास्त्री जीने बताया कि इस दिन वैवाहिक जीवन के लिए सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग बनेगा,जो परिणय सूत्र में बंधने के लिए श्रेष्ठ है।हिन्दू पंचागों में इस बार बसंत पंचमी 29 और 30 जनवरी को मनेगी। इस वर्ष की वसन्त पंचमी की तिथि बुधवार सुबह 10.45 बजे से शुरू होगी जो गुरूवार दोपहर 1.19 बजे तक रहेगी। धर्मशास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी पर्व 29 जनवरी को मानना श्रेष्ठ होगा।

सरस्वती वन्दना

कुन्देन्दु देवी सरस्वती को समर्पित बहुत ही प्रसिद्ध स्तुति है जो सरस्वती स्तोत्रम का एक अंश है। इस सरस्वती स्तुति का पाठ वसन्त पञ्चमी के पावन दिन पर सरस्वती पूजा के दौरान किया जाता है।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

सरस्वती पूजा

इस दिन शुभ मुहूर्त में साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग सरस्वती मां की पूजा-आराधना करते हैं। इस पर्व पर मां सरस्वती की पूजा में हल्दी का उपयोग जरूर करें। पवित्र नदी में स्नान करना इस त्योहार वाले दिन फलदायी माना गया है और इस दिन विद्या देने वाली सभी चीजों की पूजा करनी चाहिए। पुखराज और मोती धारण करने के लिए ये दिन उत्तम माना गया है। मां की पूजा के समय पीले या सफेद फूलों का इस्तेमाल अवश्य करें।

मां सरस्वती की आरती

ऊं जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ऊं जय..

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी। सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥ ऊं जय..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला। शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला॥ ऊं जय..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया। पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥ ऊं जय..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो। मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो॥ ऊं जय..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो। ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥ ऊं जय..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें। हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें॥ ऊं जय..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ऊं जय..

ऊं जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता । सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ऊं जय.

वसंत पंचमी के दिन क्या न करें – इस दिन काले रंग के कपड़े धारण न करें और ना ही विद्या देने वाली चीजों का अपमान करें। ये हरियाली का त्योहार माना जाता है इसलिए इस पर्व पर फसलों की कटाई भी नहीं की जाती। वसंत पंचमी के दिन तामसिक भोजन न करें और ना ही मदिरा पान करें।

गणना – पं. दयानंद शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

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