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उपराष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय निकायों के पुनर्गठन में बांग्लादेश से समर्थन मांगा

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संगठनों के पुनर्गठन और उनमें सुधार लाने के बारे में बांग्लादेश से समर्थन देने की मांग की ताकि पूरी  दुनिया को प्रभावित करने वाली नीतियों का कुछ देश ही निर्धारण न कर सकें।

      आज नई दिल्ली में बांग्लादेश के प्रशिक्षु-राजनयिकों के साथ बातचीत करते हुए श्री नायडू ने कहा कि दुनिया अब बहुध्रुवी है। इसलिए अब नई वैश्विक वास्तविकता को दर्शाने के लिए बहुपक्षीय संगठनों के पुनर्गठन का समय है।

      यह देखते हुए कि भारत बांग्लादेश को सबसे अधिक महत्व देता है, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश हमारे लिए विशेष स्‍थान रखता है। इसलिए आपकी यह भारत यात्रा हमारे लिए बहुत विशिष्‍ट है।

      उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत का हमेशा यह विश्‍वास रहा है कि एक मजबूत, स्थिर और समृद्ध बांग्लादेश भारत के हित में है। हम 2041 तक आपको विकसित देश बनाने के लिए आपकी प्रगति की यात्रा में भागीदार बनना चाहेंगे।

      इस बात पर जोर देते हुए कि भारत और बांग्लादेश भूमि सीमा और समुद्री सीमा जैसे मुद्दों सहित सभी बकाया मुद्दों का समाधान करने में सक्षम हैं। उन्‍होंने कहा कि आज भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों को अच्छे पड़ोसी संबंधों का आदर्श माना जाता है।

      उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और बांग्लादेश, बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से अधिक समृद्धि हासिल करने की क्षमता रखते हैं। हमें इस उप-क्षेत्र में मौजूद अवसरों का पूरा उपयोग करने के लिए बिम्सटेक में सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।

      उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत बांग्लादेश का एक प्रतिबद्ध विकास भागीदार देश है और भारत ने बांग्लादेश की विभिन्‍न बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए पिछले 7 वर्षों में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का सकल ऋण प्रदान किया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि किसी अकेले देश को भारत द्वारा दी गई यह सबसे बड़ी राशि है।

      नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में श्री नायडू ने कहा कि भारत सरकार ने उच्च स्तर पर यह स्पष्ट किया है कि इस अधिनियम का उद्देश्‍य धार्मिक रूप से प्रताडि़त शरणार्थियों को नागरिकता देना है और किसी भारतीय की नागरिकता को छीनना नहीं है। यह किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक की नागरिकता को प्रभावित नहीं करता है।

      श्री नायडू ने शिष्‍टमंडल को बताया कि म्यांमार के राखीन राज्य से लाखों विस्थापितों के बांग्लादेश में आने से बांगलादेश पर पड़ने वाले भारी बोझ से भारत पूरी तरह अवगत है। भारत इन विस्थापितों के प्रति मानवीय रुख अपनाने से बांग्लादेश की सराहना करता है। रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार में वापस भेजने के लिए म्‍यांमार के साथ बांग्‍लादेश के उनके द्विपक्षीय प्रयासों में भारत का पूरा समर्थन है।

      श्री नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपने पड़ोस में शांति और स्थिरता चाहता है इसलिए सभी पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना चाहता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर एक सुलझा हुआ मुद्दा था। इसने पड़ोसी देश के सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सहायता देने, उकसाने, धन उपलब्‍ध कराने और आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने के सभी प्रयासों को विफल कर दिया।

      भारत की विकास कहानी का विवरण देते हुए श्री नायडू ने कहा कि  लगातार बनी सरकारों द्वारा किए गए क्रमबद्ध सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत और लचीला बनाया है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत के बारे में विश्वास और आशावाद लगातार बढ़ रहा है।

      राजदूत सैयद मौसूद महमूद खुंडोकर, रेक्टर, विदेश सेवा अकादमी, ढाका और विदेश मंत्रालय के महानिदेशक तथा ढाका स्थित विदेश सेवा अकादमी के महानिदेशक श्री तौफीक इस्लाम शातिल और 20 से अधिक प्रशिक्षु राजनयिक उपराष्ट्रपति के साथ बातचीत के दौरान उपस्थित थे।

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