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दिवयांग पेंशन को लेकर सवालों के घेरे में समाज कल्याण विभाग, जानिए वजह

देहरादून : समाज कल्याण विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। आयुक्त नि:शक्तजन मनोज चंद्रन के निर्देश पर बैठी जांच में प्रदेश में 236 लोगों को फर्जी तरीके से दो-दो दिव्यांग पेन्शन भेजे जाने का खुलासा हुआ है। इसके साथ ही आयुक्त ने संदिग्ध पाए गए 1927 लोगों की दोबारा जांच करने के भी निर्देश दिए हैं। आशंका जताई जा रही कि इनमें से भी कई लोगों को भी विभाग दो-दो दिव्यांग पेन्शन जारी कर रहा था।

आयुक्त नि:शक्तजन ने एक माह पूर्व विभाग के पोर्टल की जांच में 1927 लोग ऐसे पाए थे, जिनके नाम दो-दो बार दर्ज थे और विभाग की ओर से उन्हें दो-दो दिव्यांग पेन्शन भी भेजी जा रही थी। आयुक्त ने इस संबंध में निदेशक समाज कल्याण, जिला समाज कल्याण अधिकारी व आइटी सेल के प्रभारी को मामले की जांच कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए थे। अब जिला समाज कल्याण अधिकारी ने जांच रिपोर्ट अपर सचिव और आयुक्त नि:शक्तजन मनोज चंद्रन को सौंप दी है, जिसमें स्वीकार किया गया है कि इनमें से 236 लोगों को दो-दो दिव्यांग पेंशन भेजी जा रही है।

आयुक्त नि:शक्तजन के अनुसार विभाग ने 236 लोगों की डुप्लीकेसी होने की बात तो स्वीकारी है, लेकिन शेष पेन्शनर्स डुप्लीकेट हैं या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। साथ ही यह ब्यौरा भी उपलब्ध नहीं कराया गया है कि फर्जी तरीके से दिव्यांग पेन्शन आवंटन के लिए जिम्मेदार जिला समाज कल्याण अधिकारी कौन हैं। आयुक्त ने इस संबंध में भी जानकारी तलब की है। साथ ही शेष पेन्शनर्स की दोबारा जांच कर चार सितंबर तक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

निदेशक की जांच में 153 डुप्लीकेट 

जिला समाज कल्याण विभाग ने जहां 236 लोगों को फर्जी ढंग से दिव्यांग पेन्शन देने की बात स्वीकारी है, वहीं निदेशक वीएस धनिक की ओर से भेजी गई जांच रिपोर्ट में मात्र 153 डुप्लीकेट पेन्शनर्स बताए गए हैं। इस मामले में जांच के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है।

आयुक्त ने लगाई फटकार 

जांच रिपोर्ट में डुप्लीकेसी सामने आने के बाद आयुक्त ने संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। जबकि, विभाग ने नियमावली में मुकदमा दर्ज करने का प्राविधान होने से इन्कार किया है। इस पर आयुक्त ने नि:शक्त व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम-2016 की धारा 91 का हवाला देते हुए फटकार लगाई है।

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